भारत ठप! बिहार में सियासी दंगल, 25 करोड़ कर्मचारियों की हड़ताल

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

देशभर में आज का दिन एक बड़े बदलाव और विरोध का प्रतीक बन गया है। भारत बंद 2025 का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा किया गया है, जिसमें करोड़ों कर्मचारियों ने भागीदारी दिखाई है। इन यूनियनों को किसान संगठनों और ग्रामीण मजदूर संगठनों का भी सक्रिय समर्थन प्राप्त है। अनुमान है कि इस बंद में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी हिस्सेदारी कर रहे हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

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इन सेवाओं पर दिख सकता है सबसे ज्यादा असर

इस भारत बंद का सीधा असर कई महत्वपूर्ण सार्वजनिक और सरकारी सेवाओं पर देखा जा सकता है।
प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं:

  • बैंकिंग और बीमा सेवाएं

  • कोयला खनन और ऊर्जा आपूर्ति (बिजली)

  • डाक सेवा और परिवहन व्यवस्था

  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सप्लाई चेन

हालांकि, स्कूल, कॉलेज, निजी दफ्तर और अस्पताल खुले रहने की संभावना है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में स्थानीय प्रभाव संभव है।

बिहार बना राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र

इस बार बिहार न केवल बंद का हिस्सा है, बल्कि राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र भी बन चुका है। भारत बंद को महागठबंधन और विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। बड़ी बात यह है कि राहुल गांधी खुद पटना पहुंचकर तेजस्वी यादव के साथ इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
विपक्ष का यह विरोध चुनाव आयोग की वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया (SIR) को लेकर है, जिसे जनविरोधी बताया गया है। इसी वजह से बिहार में पूर्ण बंद और चक्का जाम की घोषणा की गई है।

कौन-कौन संगठन हैं इस आंदोलन में शामिल?

भारत बंद में भाग लेने वाले संगठनों की सूची लंबी है, लेकिन कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  • अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)

  • भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)

  • सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU)

  • हिंद मजदूर सभा (HMS)

  • स्वरोजगार महिला एसोसिएशन (SEWA)

  • लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)

  • यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)

इन संगठनों की व्यापक भागीदारी इस हड़ताल को इतिहास की सबसे बड़ी श्रमिक एकजुटता बना रही है।

सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड में भारत बंद

#भारत_बंद, #BharatBandh2025, और #बिहार_राजनीति जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं।
लोग ट्विटर और फेसबुक पर लगातार अपडेट्स शेयर कर रहे हैं। कई शहरों से वीडियो फुटेज, रैलियों और चक्का जाम की तस्वीरें सामने आ रही हैं।

सिर्फ बंद नहीं, एक सामाजिक संदेश

भारत बंद 2025 केवल एक औपचारिक हड़ताल नहीं, बल्कि सरकारी नीतियों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन चुका है। कर्मचारियों, किसानों, और ग्रामीण श्रमिकों की यह साझा आवाज सरकार तक पहुंच रही है। बिहार में विपक्ष की सक्रियता इसे एक राजनीतिक मोड़ भी दे रही है।

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